Wednesday, March 16, 2016

कितना भोला कितना सच्चा

कितना भोला कितना सच्चा ,
कितना  बच्चा सा था मैं |
कितना अच्छा कितना सच्चा ,
कितना सबका सा था मैं ||

एक संगत मिली मुझको ,
एक रंगत मिली मुझको |
उस सच्चे उस भोलेपन को बेकार किया बर्बाद किया ||

कितना भोला कितना सच्चा ,
कितना बच्चा सा था मैं ||

अब संभल गया हूँ  थोड़ा सा ,
अब बदल गया हूँ थोड़ा सा |
दूर गया हूँ उस संगत से जिसने मेरा जीवन दुस्सार किया ||

कितना भोला कितना सच्चा ,
कितना बच्चा सा था मैं ||

ना पड़े कोई उस संगत में ,
जो तुमसे बचपन छीन ले |
पूरा जीवन बच्चे जैसा गुजर जाता ,यदि ना आता उस हवा का झोंका ||

कितना भोला कितना सच्चा ,
कितना बच्चा सा था मैं |
कितना अच्छा कितना सच्चा,
कितना सबका था मैं ||

                                         

Monday, January 21, 2013

कितनी ही बाते सुनता हूँ।



कितनी ही बाते सुनता हूँ।
कितनी ही बाते करता  हूँ।

अब बात नही , अब काम  भी हो ।।
हर जन का , अब ख्याल भी हो ।।
बाते भी हो और काम भी हो ।।
हर भारतवासी का, ध्यान भी हो।।

कितनी ही बाते सुनता हूँ
कितनी ही बाते करता हूँ

क्या कभी यहा आराम होगा ?
क्या भ्रष्टाचार  का काम - तमाम होगा ?
क्या भारत का  हर कॊना खुशहाल होगा ?
क्या बात बनेगी भारत की ?

कितनी ही बाते सुनता हूँ
कितनी ही बाते करता हूँ

जब तक हम सॊयै बात करो !
भारत के  नेता  राज करो !
जब हम जागे, तो बात करेगे!
पर उससे पहिले काम  करेगे!


कितनी ही बाते सुनता हूँ
कितनी ही बाते करता हूँ

Sunday, January 20, 2013

देखता हु आज मै



देखता हु आज मै, बढता  हुआ  समाज को
सोच है बिखरी हुई और सोच है खडे  हुई

सोच कर मै सोचता हु ,क्या हुआ समाज को
और क्या हुआ इन्सान को ,
की सोच है बिखरी हुई ,
की बात है बिगड़ी  हुई,
की सास है चलती हुई  और सोच है थमी हुई !!!